Quotation

February 2000

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

करो या मरो-हम निश्चित रूप से इन दिनों विषम परिस्थितियों के बीच रह रहे हैं। पौराणिक विवेचन के अनुसार इस असुरता के हाथों देवत्व का पराभव होना कहा जा सकता है। कभी हिरण्याक्ष, हिरण्यकश्यप, वृत्तासुर, भस्मासुर, रावण और कंस आदि ने जो आतंक उत्पन्न किए थे वह आज की परिस्थितियों के साथ पूरी तरह तालमेल खाता है। पुनरावृत्ति स्पष्ट परिलक्षित होती हैं। उन दिनों शासकवर्ग का ही आतंक था, पर आज तो राजा-रंक, धनी-निर्धन, शिक्षित-अशिक्षित, वक्ता-श्रोता सभी एक राह पर चल रहे हैं। छद्म और अनाचार ही सबका इष्टदेव बन चला हैं। नीति और मर्यादा का पक्ष दिनोंदिन दुर्बल होता जाता है। उपाय दो ही हैं। एक यह कि शुतुरमुर्ग की तरह आंखें बंद करके भविष्यता के सामने सिर झुका दिया जाए। जो होना हैं उसे होने दिया जाए। दूसरा यह कि जो सामर्थ्य के अंतर्गत हैं उसे करने में कुछ उठा न रखा जाए।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles