दूसरे को जलाया (kahani)

February 2000

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मनीषी जीबनी के जीवन का एक प्रसंग हैं। वे रात्रि के पहले प्रहर में राज्य के आदेशानुसार एक पुस्तक लिखा करते थे। दोनों काम वे रात में ही करते थे। दिन दूसरे कामों में बीत जाता था। उनके पास दो दीपक थे। तब पुस्तकें लिखते तो एक दीपक जलता और जब पूजा का समय आता तो दूसरे को जलाया करते थे।


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