( भज् गोविंदम् का नारा लगाते हुए शंकराचार्य निकल पड़े और भगंदर के फोड़े के बावजूद संस्कृति प्रचार हेतु भारत भर में भ्रमण किया, धर्म संबंधी विकृतियों का खंडन किया तथा धनाध्यक्षों के वैभव को भी जनहित की ओर मोड़ने में सफल हुए। अपने कष्ट की चिंता न कर दूसरों का ही भला सदा सोचने वाले हमेशा पूजे जाते हैं। )