Quotation

August 2000

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यों तो बुद्धि ईश्वर ने हर एक को दी है। इतने पर भी प्रयास , अभ्यास और लगन द्वारा उसे प्रखर बनाए रखने की निरंतर आवश्यकता पड़ती है। जो इस दिशा में कृपणता बरतते , उनकी बुद्धि कुँद पड़ जाती और जंग लगे लोहे की तरह निकम्मी साबित होती है।

(न अकेला ज्ञान पर्याप्त है, न केवल तप। दोनों के समन्वय से ही आत्मिक प्रगति का आधार बनता है।


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