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Akhand Jyoti
Year 1993
Version 2
गायत्री उपासना...
गायत्री उपासना
March 1993
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Page Titles
ईश्वर की सत्ता हमारे रोम−रोम में संव्याप्त हो,
ज्ञान का अनुपान संवेदना
Quotation
उच्चस्तरीय विभूतियों की जननी:- श्रद्धा
Quotation
यान्त्रिकी और मान्त्रिकी का सुव्यवस्थित सुनियोजन
सिद्धि सर्वोपरि या सेवा?
VigyapanSuchana
क्या तृतीय नेत्र का जागरण संभव है?
श्रम निरर्थक (kahani)
आत्म वाडरे ज्ञातव्यः
Quotation
व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास अध्यात्म द्वारा ही संभव
उदारता और ईर्ष्या (kahani)
असंतोष को जन्म देती है, अनगढ़ महत्त्वाकाँक्षाएँ
आश्वासन दिया (kahani)
अहंकार मिटे तो व्यक्ति ग्रहणशील बने
भावनाओं की समझें (kahani)
सत्य केवल वही नहीं, जो निकट व दृश्यमान है
भक्ति भगवान स्वयं करते (kahani)
आदर्शवादी का कर्त्तव्य
नव-जागरण की धुरी-प्रकाशन व्यक्तित्व
सार्थक मनोरंजन वह जो चिंतन को ऊँचा उठाए
Quotation
क्या सुदूर अतीत का पुनरावलोकन संभव है?
फूहड़ तरीका (kahani)
लाख छिपायें, अन्दर के भाव छिप नहीं सकते
Quotation
विवेक के अवलंबन से बंधनमुक्ति
Quotation
पशु श्रेणी में रखे जाने योग्य (kahani)
महत्संग की साधना
कैसे जाने कि व्यक्तित्व रुग्ण है या स्वस्थ?
निरहंकारिता का पाठ (kahani)
विचार-क्रान्ति का तत्व दर्शन
Quotation
मन में निहित विकास की उच्चतर अवस्थाएँ
Quotation
बच्चों ने सूचना दी (kahani)
महाकाल की इच्छा, जिसे पूरा होना ही है
Quotation
परमार्थ प्रयोजनों (kahani)
नींद में अतिवाद न बरतें
ईश्वर से मिलने की बात (kahani)
कामना करें बसंती ज्वाला की
शरीर नहीं, सुन्दर तो है आत्म तत्व
बेगम चुप हो गई (kahani)
स्पष्ट का अनुदान-प्रखर प्रतिभा
बाढ़ का त्रास (kahani)
सृजन-संवेदना (kavita)
सुख, समृद्धि और वर्चस् का विज्ञान
युग पुरुष पूज्य गुरुदेव पं. श्री राम शर्मा आचार्य - साधना जिनकी हर श्वास में संव्याप्त थी
अमंगल से मंगल कहीं अधिक
गायत्री उपासना
Quotation
अपनों से अपनी बात - परम पूज्य गुरुदेव का एक सामयिक सम्पादकीय - मानवी जीवन का सबसे बड़ा लाभ- प्रतिभा परिष्कार
सम्मानपूर्वक नहीं ठहर सकता (kahani)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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