बुढ़ापा मन की वह दशा है, जिसमें सब कुछ हाथ से जाता दीखता है। जवानी वह है जिसमें कमाने और बढ़ाने की उम्मीदें उछलती रहती है। आयु से बुढ़ापे और जवानी की नाप-तोल करना व्यर्थ है।