बगदाद का खलीफा उतना ही दैनिक वेतन लेते थे जितनी कि एक साधारण मजूर को मिलती थी। परिवार खर्च उसी सीमा में चलाने की चेष्टा बन पड़ी थी।
एक दिन खलीफा की बेगम ने कहा-”तीन दिन का वेतन पेशगी मिल जाता तो त्यौहार पर बच्चों के लिए कुछ पकवान बना लेती।”
खलीफा ने कहा-”इन तीन दिनों में मैं मर गया तो कर्जदार होकर संसार से जाना पड़ेगा। ऐसी जोखिम कैसे उठाई जाय?” बेगम चुप हो गई।