पशु श्रेणी में रखे जाने योग्य (kahani)

March 1993

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

दो संस्कृत विद्वान एक गृहस्थ के यहाँ अतिथि बने।गृहस्थ ने उनका बड़ा सत्कार किया।

जब एक विद्वान स्नान घर में गए तब गृहस्थ ने दूसरे विद्वान से स्नान करने को गये हुए विद्वान के संबंध में पूछा। उसने उत्तर दिया कि ‘वह मूर्ख बैल है।’ जब वह स्नान करके आये हुए विद्वान के सम्बंध में पूछा तो वह बोला ‘यह क्या जानता है-पूरा गया है।’

जब भोजन का समय हुआ तो गृहस्थ ने एक गट्ठर घास और एक ढलिया भूसा उनके सामने ला रखा और बोला-”लीजिए महाराज! बैल के लिए भूसा और गधे के लिए घास उपस्थित है।” यह देख सुनकर दोनों ही बड़े लज्जित हुए।

विद्वान होकर भी दूसरों के प्रति ईर्ष्या, द्वेष के भाव रखना बड़ी घृणित प्रवृत्ति है। ऐसे विद्वान भी निस्सन्देह पशु श्रेणी में रखे जाने योग्य हैं।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles