एक खेल में चिड़िया का घोंसला था। बच्चे बड़े हो चुके थे। किसान रोज खेत पर आता और उस पके खेत को काटने की योजना बनाता। पर चिड़िया बच्चों को सान्त्वना देती रहती कि अभी डरने की कोई बात नहीं है। खेत नहीं कट सकता।
एक दिन फिर किसान का फेरा लगा। उस दिन पत्नी भी साथ थी। बैठ कर सलाह करने लगे। न नौकर मिलता है और न पड़ोसी सहायता करने को तैयार होते है। अब हम दोनों को ही मिलकर खेत काटने पर जुटना चाहिए।
चिड़िया को बच्चों ने सूचना दी तो उसने बच्चों को अन्यत्र ले जाने का प्रबन्ध किया।
इस पर बच्चों ने पूछा आज तुमने तत्काल प्रबन्ध क्यों किया? चिड़िया ने कहा जब तक कोई दूसरे के भरोसे रहता है तब तक उसे निराशा का सामना करना पड़ता है पर जब वह स्वयं कटिबद्ध हो जाता है तो काम पूरा हो जाता है।