ज्ञातव्य
इस शोध संदर्भ की धारावाहिक शृंखला के अंतर्गत
पाठकगण पत्रिका के दिसम्बर 91 के अंक से
ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान में विगत बारह वर्षों में संपन्न व सम्प्रति चल रहे अनुसंधान का वैज्ञानिक विवेचन पढ़ रहे है। प्रयास यह किया जाता है कि सर्वसाधारण समझ सके, ऐसी भाषा में यह प्रस्तुतीकरण हो। कहीं-कहीं विवश होकर वैज्ञानिक भाषा प्रयुक्त करनी पड़ रही है क्योंकि उनका हिन्दी विकल्प और भी क्लिष्ट है। किन्हीं को भी किन्हीं शब्दों के विषय में कोई शंका हो तो वे पत्राचार द्वारा पूछ सकते हैं। साथ ही शोध संदर्भ के अब तक प्रस्तुत विवेचन पर जिज्ञासाओं के साथ-साथ सुझाव भी आमंत्रित है। अगले अंकों में प्रयास किया जाएगा कि आंकड़ों के ग्राफ तथा फोटो भी हम दे सकें। पत्राचार का पता-निदेशक, ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान, शाँतिकुँज हरिद्वार 249411 (उ.प्र.)