महर्षि स्वामी दयानंद ने समाज सुधार का महत्वपूर्ण कार्य किया । प्रतिगामी पंडित उनसे बहुत जलते थे । प्रत्यक्षतः कुछ कर तो नहीं सकते थे । पर एक दिन अपनी भड़ास निकालने के लिए एक भोंड़ा जुलूस निकाला ।
गधे के गले में एक तख्ती लगाई थी । जिस पर लिखा था “स्वामी दयानंद” । उस गधे को भीड़ तरह-तरह से तिरस्कृत भी करती जाती थी ।
इस समाचार को किसी ने स्वामी जी तक पहुँचाया उनने कहा नकली की तो ऐसी ही दुर्गति होती है । नकली दयानंद का उपहास होना ही था जो ठीक भी हुआ ।