बहुमत के आगे अल्पमत (Kahani)

March 1992

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बर्नार्डशा की एक रचना पर टिप्पणी करते हुए एक बार किसी महिला ने कहा-”आपकी यह रचना बड़ी खराब है मुझे बिलकुल पसन्द नहीं आई। बर्नार्डशा ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया-”बहिन जी, मैं भी आपसे पूर्णतया सहमत हूँ पर संसार के लोग इतने कट्टर हैं कि हमारी, आपकी बात मानने को कोई तैयार नहीं बहुमत के आगे अल्पमत की कहाँ चलती है?”


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