विदेशों की सम्पन्नता (Kahani)

March 1992

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

सर टामसरी उन दिनों भारत के शासक थे साथ ही चिकित्सक भी।

उनने बादशाह शाहजहाँ की बेटी का इलाज किया। वह असाध्य बीमारियों से ग्रस्त थी। अच्छी हो जाने पर बादशाह ने कुछ इनाम माँगने के लिए कहा।

उनने व्यक्तिगत लाभ के लिए कुछ भी स्वीकार न किया वरन् इतना ही कहा कि मेरे देश से आने वाले माल पर भारत ही कहा कि मेरे देश से आने वाले माल पर भारत में चुँगी न लगे। बादशाह ने उसे स्वीकार कर लिया और उसका परिणाम यह हुआ कि विदेशों की सम्पन्नता उससे अनेक गुनी बढ़ गई।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles