जंगल धराशायी कर दिया (Kahani)

December 1992

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लकड़हारे एक बड़े जंगल के मजबूत पेड़ों को काटने का इरादा करके आये थे। वे चारों ओर घूमे। पेड़ों ने भी उनका इरादा समझा। जब वे चले गये तो पेड़ हँसकर बोले इनकी क्या बिसात है जो हम लोगों को काट सकें। इनके हाथ में लोहे की कुल्हाड़ी भर ही तो है।

कुछ दिन बाद पेड़ काटने वाले फिर आये। उनके हाथ में लकड़ी के बैंट लगी हुई कुल्हाड़ियाँ थीं। इसे देखकर पेड़ घबराने लगे और कहने लगे जब शत्रु पक्ष में अपने ही लोगों का सहयोग जुड़ गया तो अनर्थ होने में कोई सन्देह नहीं रहा।

वस्तुतः हुआ भी वैसा ही। लकड़ी के बैंट वाली कुल्हाड़ियों ने सारा जंगल धराशायी कर दिया।


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