परचुरे शास्त्री को कुष्ठ रोग हो गया वे गाँधी जी की कुटिया के पास रहते थे।
किसी ने दवा बताई कि काला साँप हाँडी में बंद करके जलाया जाय। उसकी भस्म शहद के साथ खाई जाय तो कुष्ठ रोग दूर हो जाएगा।
शास्त्री जी ने कहा इससे तो अच्छा है कि मुझे ही किसी संदूक में बंद करके जला दिया जाय। दूसरे का प्राण हरण करके अपने लिए सुविधा पाने में क्या न्याय है?