तपस्वी को समर्पण (Kavita)

December 1990

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जीवन करें समर्पित उनको। जिनने तपा लिया जीवन को॥

क्योंकि तपस्वी कम होते हैं। पर पीड़ा से नम होते हैं॥

पीड़ा सहकर भी बिन कारण। परपीड़ा का करें निवारण॥

कहते विषपायी-शिव जिनको। जिनने तपा लिया जीवन को।।

जब उनका संबल मिलता है। जनसेवा का बल मिलता है॥

जीवन धन्य बना देते हैं। श्रेय अनन्य दिला देते हैं॥

कहते व्यक्ति-सृजेता इनको। जिनने तपा लिया जीवन को।।

तप उनका सूरज बन जाता। जन मानस का तम कट जाता॥

लोभ-मोह के बन्धन कटते। घृणा-द्वेष के बादल छटते॥

निर्मल कर देते वे मन को। जिनने तपा लिया जीवन को।।

वे सुषुप्त - देवत्व जगाते। मनुज-धरा को स्वर्ग बनाते॥

वसुधा फिर कुटुम्ब हो जाती। जन मन में करुणा छलकती

स्रष्टा करें और फिर जिनको। जिनने तपा लिया जीवन को।।

-मंगल विजय


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