गाँधी जी की जीवनचर्या बड़ी नियमित तथा सन्तुलित थी। एक बार वे आगा खाँ महल में ठहरे हुए थे। उस दिन श्रम कुछ अधिक करना पड़ा, व्यस्तता भी असाधारण रही। इसलिए सुबह कुछ देर से आँख खुली।
इस भूल पर बापू को बहुत ग्लानि हुई। क्षोभ से हृदय मथने लगा। मन किसी प्रकार हलका ही नहीं हो पा रहा था। बापू ने प्रायश्चित करने की बात सोची। उस दिन उन्होंने भोजन नहीं किया, तब कहीं जाकर मन कर उतार-चढ़ाव कम हुआ और अन्तर्द्वन्द्व मिटा। महापुरुषों के जीवन की ये छोटी बातें ही उनकी महानता का परिचय देती हैं।