उज्ज्वल भविष्य सम्बन्धी पूर्वानुमान भी संभव

December 1990

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26 जुलाई 1973 को अमेरिकी वायु सेना के मुख्यालय में फोन घनघना उठा, जिसमें से आवाज आई-मैं जेन्डोलिन मार्क्स बोल रही हूँ। कृपया लाकहर्स्ट झील के ऊपर किये जा रहे हवाई प्रदर्शन को रोक दीजिए क्योंकि तीन दिन के भीतर बहुत बड़ी दुर्घटना देख रही हूँ। यह कल्पना नहीं है, अपितु यथार्थ है। कृपया शीघ्र निर्णय लीजिए।” उक्त फोन मिलने पर वायुसेना के मुख्य लोगों को आश्चर्य हुआ कि आखिर हमारी गुप्त बातें इन्हें कैसे मालूम हुई ऊहापोह और सूचना देने वाली महिला की खोजबीन में दो दिन बीत गए। उड़ान जारी रहा।

किन्तु फोन आने के 48 घण्टे के बाद दो नीले, युद्धक जैट विमान आपस में टकराकर झील में डूब गये। तो पूर्व सूचना देने वाली लड़की मार्क्स को लोग पुनः ढूँढ़ने लग गये। आगे चलकर यह लड़की वायुसेना में सम्मिलित हो गई और हर माह घटने वाली सभी महत्वपूर्ण घटनाओं को पहले ही स्पष्ट करने लग गई। इनकी अधिकाँश भविष्यवाणियों सच निकलती गई जो समय-समय पर प्रकाशित होती रही।

जेन्डोलीन मार्क्स अद्भुत शक्ति सम्पन्न थी। बाल्यावस्था में अपने निकट घटने वाली छोटी-बड़ी घटनाओं को जब पहले ही बता देती, तो लोगों को आश्चर्य होता था। स्कूल में पढ़ने जाती, तो बच्चे घेर लेते और पूछते-बताओ आज मास्टर जी क्या पढ़ाएँगे एवं मार किसको खानी पड़ेगी और विशेष बात यह कि जिसका नाम वह बताती उसी छात्र को मार खानी पड़ती। अनेक प्रमुख घटनाओं को तो चित्र बना कर बता देती थी एवं स्थान भी। उनका कहना था कि अतीन्द्रिय क्षमता एवं स्वप्न के द्वारा भी भविष्य में होने वाली घटनाओं को देख लेती हूँ, किन्तु इस अद्भुत क्षमता का मैंने कभी दुरुपयोग नहीं किया और न ही भविष्य में कभी करूंगी। दुर्घटनाओं को पहले से जानकर उनसे बचने के लिये लोगों को सावधान करना ही अब तक का मेरा लक्ष्य रहा है और आगे भी यही रहेगा।

फरवरी 1974 में उसने कहा था कि 1 मार्च से 3 मार्च का समय अमेरिकी वायुयान के लिए महाविपत्ति का समय है। इस अवधि में बाद में अनेक घटनाएँ घटीं।

“द पीपुल्स एलमनेक” में डैविड वेलिकनिस्की एवं इरविंग वेलेज ने जेन्डोलीन मार्क्स के भविष्य कथन का उल्लेख करते हुए 1970 से 2009 से 21 वर्ष की अवधि को उज्ज्वल भविष्य की तैयारी के वर्ष कहा है। उनके अनुसार इसमें ऐसी सफलताएँ मिलेंगी, जिससे मनुष्य जाति की प्रगति का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा। जेन्डोलीन मार्क्स लिखती हैं-

बीसवीं सदी के अन्त तक अधिकाँश लोग स्वयमेव ही परिवार नियोजन के उपक्रम को अपनायेंगे, जिसमें यांत्रिक विधि-व्यवस्था का कोई स्थान नहीं होगा, अपितु हर व्यक्ति यह अनुभव करेगा कि बहुप्रजनन से अनेकानेक संकट उपजते हैं एवं मात्र पति-पत्नी की युगल जोड़ी के लिए ही नहीं, वरन् समूचे समाज के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं अतएव वैवाहिक जीवन में संयम की नीति अपनायेंगे। पति-पत्नी परस्पर मित्रवत व्यवहार करेंगे एवं एक-दूसरे को भावनात्मक एवं वैचारिक दृष्टि से डइाने का प्रयास करेंगे। प्रजनन की ओर से विमुख होने से नारियों की प्राणशक्ति में बढ़ोत्तरी होगी, जिससे महिलाएँ भी वे सभी कार्य सम्पन्न कर सकेंगी, जिसे अब तक पुरुष ही सम्पन्न किया करते थे शौर्य, पराक्रम एवं जीवट के क्षेत्र में वह पुरुषों के बराबर सिद्ध होंगी। इस प्रकार से परिवार नियोजन “न्यूडायमेन्सन” नये आयाम में प्रवेश करेगा और हर धर्म के व्यक्ति इस नई आत्मानुशासन वाली विधा का परिपालन करेंगे। इसी में उन्हें अपनी, परिवार एवं समाज की भलाई दिखाई देगी।

1980 की दशाब्दी चिकित्सा के क्षेत्र में नई उपलब्धि अर्जित करने की अवधि है एवं नब्बे का दशक आरंभ होते ही विज्ञान रोगों के कारणों को ढूँढ़ने के लिए निरन्तर सूक्ष्म से सूक्ष्मतम अवस्थाओं में प्रवेश करता चला जायेगा और इस सदी के अन्त में विज्ञान यह सिद्ध कर देगा कि रोगों का कारण बाहरी वायरस, कीटाणु, अथवा बैक्टीरिया नहीं है, अपितु व्यक्ति अपने ही असंयम से अपनी प्राणशक्ति की क्षीण कर डालता है, फलतः अनेकानेक आधि व्याधियों का शिकार होता चला जाता है। खान-पान रहन-सहन सोचने-विचारने में अतिशय का अतिवाद समय रहने से ही रोग उत्पन्न होते हैं। अतः इनका समाधान वही निकलेगा, जो प्राच्य देशों के पूर्वकालीन दर्शन व चिकित्सा ग्रन्थों में विद्यमान है। सन 2000 तक की अवधि में इस प्रकार की अनेकों उपलब्धियाँ मानवता के समक्ष आएँगी।

प्रसंग यूटोपिया या एक व्यक्ति के भविष्य उद्घाटन का नहीं है। जब क्रिया−कलाप उस दिशा में चल पड़ें तो परिणति भी वही होकर रहती है। उज्ज्वल भविष्य की ओर महायात्रा के संकेत अभी से दिखने लगे हैं। विश्वास किया जाना चाहिए कि आने वाला एक दशक एक महत्वपूर्ण भूमिका समग्र मानव समुदाय के लिए निभाने जा रहा है।


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