तथागत को एक बिहार का निर्माण करना था। इसके लिए उन्होंने सर्व-साधारण से साधना की और अभीष्ट राशि जमा हो गई।
कोषाध्यक्ष से पूछा गया कि किसकी सबसे बड़ी राशि थी। उसने बताया-एक बुढ़िया ने जिन्दगी भर में एक रुपया जमा किया था। उसने अपनी कमाई का शत प्रतिशत दान कर दिया। जिसके पास विपुल धन था उनने उसमें से सैकड़ों भर दिये थे। जो उनकी पूँजी का एक प्रतिशत भी नहीं था। बिहार पर शिला लेख लगा। उसमें बुढ़िया की उदारता को श्रद्धापूर्वक सराहा गया।