सेवाधर्म अपनाने में जितना दूसरों का भला होता है उससे अधिक लाभ अपने को मिलता है। व्यक्तित्व की गरिमा, भावना की कोमलता, सहानुभूति तो प्रत्यक्ष लाभ हैं जो मनुष्य को ऊँचा उठाते आगे बढ़ाते है। इससे भी बड़ा लाभ है-आन्तरिक सन्तोष और उल्लास जिसकी तुलना किसी भी उपलब्धि से नहीं की जा सकती।