सुकरात को विचार-क्रान्ति सुलगाने के आरोप में मृत्यु दंड हुआ। उनके शिष्यों ने एक योजना बनाई कि जेल तोड़ कर उन्हें मृत्यु दंड से पहले ही भगा ले जाया जाय। सुकरात ने इस योजना में सम्मिलित होने से इन्कार कर दिया और कहा हमें जो भी काम करना हो सही साधनों से और खुले रूप में करना चाहिए। लुक छुप करते कुछ भी न किया जाय वह भले ही किसी उद्देश्य की पूर्ति क्यों न करता हो?