नवग्रहों की गणना में राहु और केतु भी गिने जाते हैं, पर वस्तुतः वे कोई ग्रहगोलक नहीं हैं। सूर्य और चंद्रमा की आड़ में पृथ्वी की ऐसी सघन छाया पड़ती है। जो इस दोनों के प्रकाश पर कालिमा बनकर छा जाती है। यही राहु-केतु हैं। ऐसी छायाबिंदु इस ब्रह्मांड में अनेकों हैं, उनमें से कुछ तो पृथ्वी पर भी हैं।