कीर्तिमानों की सनक

December 1987

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लोकेषणा का नशा इतना मादक होता है कि व्यक्ति जीवन और शरीर के मूल उद्देश्य को भूल बहुधा भ्रमित हो जाता है और ऐसे क्रिया-कौतुक में उलझ पड़ता है, जिसमें लाभ तो कुछ नहीं उल्टे समय, श्रम और धन की बर्बादी ही होती है। कोई ऐसा साहस-पराक्रम किया जाए, जो अपनी गरिमा बढ़ाए या समाज के हित-साधन में काम आए तो कष्ट-सहन की उपयोगिता भी समझी जा सकती है, पर केवल इसलिए कि दूसरे लोग जो काम नहीं कर सकते, वह हम कर सकते हैं— ऐसा कुछ कर दिखाना और जोखिम उठाना, तो लोकेषणा का, आत्मश्लाघा का भौंड़ा प्रदर्शन ही कहा जाएगा। इन दिनों ऐसे ही कीर्तिमान स्थापित करने का प्रचलन चल पड़ा है। इन कार्यों को देखकर अचंभा तो होता है, पर यह समझ में नहीं आता कि ऐसा करने की योजना बनाते समय किन आदर्शों की पूर्ति ध्यान में रखी गई।

पूना के धनंजय जैन ने साढ़े चार घंटों में 194 कप चाय पी डाली। एक बार में नींद की 64 गोलियाँ खाईं तथा पाँच मिनट में 49 सिगरेट फूँक डाली। उन्होंने लोनोवला में पूना तक उल्टे पीठ चलकर यात्रा भी की। वे इसी प्रकार करतब दिखाकर अपना नाम कमाना चाहते हैं।

गहरे पानी में गोता लगाने वालों में जैकिस मैओर (फ्रांस) का नाम सर्वप्रथम गिना जाता है। 9 नवंबर 1973 को उसका 282 फुट गोता लगाने का रिकार्ड है।

स्त्रियों में ज्यूलिना ढिलेनी (इटली) के रिकार्ड को मान्यता दी गई है। सितंबर 1987 में उसका रिकार्ड एक सौ अड़तालीस फीट गहरे पानी में गोता लगाने का है।

संसार में सबसे अधिक शादी करने का रिकार्ड गिल्म डी मौस (यू.एस.ए.) के नाम है। एक पादरी होते हुए भी उसने अपने जीवन में कई शादियाँ कीं। 23वीं शादी उसने 22 जून 1979 में की। अरब देशों के आँकड़े लिए जाएँ तो वे इन्हें पीछे छोड़ देंगे। सबसे अधिक आयु में शादी बैलग्रेड यूगोस्लाविया में हुई। नवंबर 1963 को डोटा एब्रौमौविच (101) ने यूला जीविच (15) से शादी करके नया रिकार्ड बनाया।

परस्पर सबसे अधिक बार शादी की वर्षगाँठ भव्य समारोह के रूप में मनाने हेतु और ऐडिना मोटन (वाशिंगटन) का नाम लिया जाता है। इन्होंने अपने पूरे जीवन में 40 विवाह समारोहों का आयोजन किया, जिसमें अंतिम समारोह वैस्टमिनिस्टर ऐवी, (लंदन) में सन् 1975 में मनाया गया।

एक दिन में विश्व में सबसे अधिक विवाह समारोह सिओल (दक्षिण कोरिया) में मनाये गए। 14 फरवरी 1975 को 1800 दंपत्तियों के समारोह मनाए गए।

सबसे अधिक देर तक बैगपाइप वाद्य बजाने वाले व्यक्ति चर्च स्कूल पाइप बैंड, सेलिसवरी (जिम्बाब्वे) के हैं। 9 से 13 जुलाई 1976 तक चारों व्यक्तियों (नेविले वर्क मैन, क्लाइव हिगिन्स, पैट्रिक फोर्थ और बौल हैरिस) ने 100 घंटे तक निरंतर बैगपाइप को बजाया।

एक पैर पर निरंतर संतुलन बनाए रखने का प्रमाण ऐन्टन क्रस्टी जैफिन (श्री लंका) का है, जिसने 27-28 मई, 1979 को 31 घंटे 45 मिनट तक बिना किसी लकड़ी का सहारा लिए ही खड़ा रहने का उदाहरण विश्व के सम्मुख प्रस्तुत किया। ऐसे हठयोगी भारत में भी मिल जाएँगे, जो अध्यात्म के नाम पर साधना का ढिंढोरा पीटते दिखाई देंगे, पर इसमें अध्यात्म कहीं है नहीं।

हाथ से ताली बजाने का रिकार्ड 140 ताली प्रति मिनट का मिला है, जो 100 गज की दूरी तक भी सुना जा सका। 19-20 अगस्त 1977 को इन ध्वनियों को जेम्स डटन स्टैवन वैसमोर मैलौडी गौडरिच और टैमी राबर्टसन के हाथों से रिचमौंड वर्जीनिया (यू.एस.ए.) में रिकार्ड किया गया।

“गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड” में लिखा है कि ज्यौफ सिलमौन (हेम्पशायर) ने 19 एवं 20 फरवरी सन् 1977 को 24 घंटे तक निरंतर बंशी बजाई। रिकार्ड बुक में अपना नाम अंकित करने के इच्छुक ऐसे अनेकों व्यक्तियों के विचित्र विवरण इसमें पढ़ने को मिलते हैं।

गिटार बजाने का सबसे लंबा कीर्तिमान (20 से 28 जून 1978 तक) डैविट हेथवे मैटिअन (इण्डियाना) का 200 घंटे 2 मिनट तक निरंतर बजाने का है।

पाँच से लेकर 19 मार्च 1979 की अवधि में गैरी स्ट्रपल (डोवर-कैन्ट-इंग्लैंड) ने 341 घंटे 58 मिनट तक लगातार बालों को संवारने का कीर्तिमान स्थापित किया।

सैक्टन ऑफ एल्डनबर्ग (जर्मनी) निवासी जोन हिनरिच कार्ल ने अपने 50 वर्ष के जीवनकाल में 23 हजार 3 सौ ग्यारह कब्रें खोदीं और सन् 1826 में उसने अपने ही अध्ययन कक्ष को अपनी कब्र बना लिया, जहाँ अंत में उसका दफन किया गया।

सबसे अधिक पत्र लेखन का रिकार्ड रेमोन्ड एल कैन्टवैल (औक्सफोर्ड इंग्लैंड) का है, जिसने 25 अगस्त से 16 सितंबर 1978 तक 3998 पत्रों को उनके लिफाफों के साथ पूरा किया। हर पत्र अपने आप में एक 32 पृष्ठ की पुस्तक के बराबर था। यह बात अलग है कि उसमें जो लिखा था, वह सब बेसिरपैर का था।

विश्व की सबसे लंबी पैदल यात्रा (सिंगापुर से लन्दन तक) 14 राष्ट्रों को पार करते हुए 22 वर्षीय नवयुवक डैविड क्वान ने की। 4 मई 1957 को 81 सप्ताह में इस अभूतपूर्व यात्रा का समापन हुआ, जिसमें उसे कुल 18 हजार 500 मील का पैदल मार्ग तय करना पड़ा। इसी तरह सायंकाल पर विश्व यात्रा हेतु कई व्यक्ति निकलते रहते हैं।

क्यूबा के हवाना नगर में डाकिए का कार्य करने वाला फेलिक्स चाबलिया ठिगने कद का व्यक्ति था, परंतु था वह जिद्दी प्रकृति का। 1904 में सेंट लुईस मिसूरी के विश्व मेले में आयोजित होने वाले मैराथन दौड़ में भाग लेने की उसकी तीव्र उत्कंठा हुई। 26 मील की मैराथन दौड़ में भाग लेने प्रतियोगिता जीतने और क्यूबा का नाम रोशन करने की उसने सार्वजनिक घोषणा कर दी। लोग फेलिक्स की घोषणा सुनकर दंग रह गए; क्योंकि इस अदने से व्यक्ति ने अब तक किसी भी छोटी-मोटी दौड़ में भाग नहीं लिया था, फिर मैराथन तो एक जानलेवा दौड़ थी, जिसमें विजय श्री पाना तो और भी मुश्किल था।

सेंटलुईस तक की यात्रा के लिए फेलिक्स के पास पैसे भी नहीं थे। चंदा करके कुछ रुपये एकत्र किए और चल पड़ा मैराथन में भाग लेने; परंतु दुर्भाग्य से न्यू ओरलिन्स में उसके सभी पैसे छिन गए। उस अजनबी शहर में वह अकेला था और उसकी जेब खाली थी। इस विषय परिस्थिति में भी फेलिक्स संतुलित बना रहा। मैराथन दौड़ में भाग लेने और विजयी बनने के उसमें हौसले अब भी बुलंद थे। फेलिक्स ने 700 मील की लंबी दूरी को दौड़ लगाकर तय करने और मैराथन में भाग लेने का निश्चय कर लिया और दौड़ लगाना आरंभ कर दिया। रास्ते में माँगने पर जो कुछ मिल जाता, उसी पर जीवन निर्वाह करते हुए आगे बढ़ता रहा। मैराथन आरंभ होने में कुछ ही दिन बाकी थे, अतः फेलिक्स को अपने सोने के समय में कटौती करनी पड़ी। एक-एक पग कम होते पूरे सात सौ मील की दूरी तय करके फेलिक्स जब सेंट लुइस पहुँचा तो मैराथन दौड़ शुरू होने ही वाली थी।

शरीर से थका, जर्जरित, भूखा-प्यासा फेलिक्स 31 धावकों की दौड़ में नाम लिखा उनकी पंक्ति में झट-पट सम्मिलित हो गया। गर्मी की चिलचिलाती धूप में मैराथन दौड़ की शुरुआत हुई, जिसमें 13 धावक ही उस दौड़ को पूरा कर सके। फेलिक्स उनमें से एक था और उसे अंतिम स्थान प्राप्त हुआ। इसके बाद वह थकान से जर्जर हो बिस्तर पकड़ बैठा एवं अंततः कम उम्र में ही मृत्यु की गोद में चला गया।

वस्तुतः कीर्तिमान बनाने की धुन एक प्रकार की सनक ही है, जिनसे हर किसी को बचना चाहिए और इससे बचे समय-श्रम को किसी जीवनपयोगी-मानवोपयोगी कार्य में लगाना चाहिए। यदि कुछ करना ही है जो जीवन निर्माण के क्षेत्र में स्वयं को महामानवों के समकक्ष बनाने का पुरुषार्थ किया जाता रहे तो उसे सार्थक कहा जा सकता है।


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