आवेशग्रस्त होने का परिणाम (कहानी)

December 1987

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आग बोली— “मुर्ख पानी! यहाँ से हट, नहीं तो जलाकर नष्ट कर दूँगी।”

पानी कुछ नहीं बोला, शांतचित्त अपने काम से लगा रहा। इस पर अग्नि और भी आग बबूला होकर तथा पानी से टकराकर आप ही नष्ट हो गई। यह है— आवेशग्रस्त होने का परिणाम।


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