सुकरात से उनके शिष्यों में से एक ने पूछा— "मूर्ख और बुद्धिमान की क्या पहचान है?" सुकरात ने सहज भाव से उत्तर दिया, जो अपने अनुभव से भी लाभ न उठाए वह मूर्ख और जो अनुभव संचय से पहले ही दूसरों के उदाहरणों से काम की बात सीख ले— वह बुद्धिमान।
बात पूरी होते-होते एक दूसरा शिष्य बोल पड़ा— "जो अपने और पराए किसी के भी अनुभव पर ध्यान न दे उसे क्या कहा जाए"? सुकरात मुस्कराए और बोले—उसे कहना हो तो नर-पशु भी कहा जा सकता है।