कौरवों की सभा में द्रौपदी का चीरहरण किया गया। अबला की सहायता किसी मनुष्य द्वारा न की जा सकी। वस्त्र रूप में ईश्वरीय शक्ति प्रकट हुई और अबला की लाज बचा ली गई। दमयन्ती अकेली बीहड़ वन में घिर गई और व्याध उनके सतीत्व को नष्ट करने पर तुल गया। दमयन्ती के नेत्रज्योति में भगवान प्रकट हुए, व्याध जलकर भस्म हो गया। प्रहलाद का पिता ही उसकी जान का ग्राहक बन बैठा, असहाय बालक बचकर कहाँ जाए? खंभे से नृसिंह भगवान के रूप में वह शक्ति अवतरित हुई। राज्य से निष्कासित पांडवों की रक्षा सदैव भगवान करते रहे, अंततः महाभारत में घोड़ों को जोतने स्वयं आए। नरसी मेहता के सम्मान की रक्षा भी उनने की व ग्राह से गज की रक्षा के लिए भी स्वयं भगवान आगे आए।
ये पौराणिक उदाहरण बताते हैं कि भक्तों पर भगवान की अहैतुकी कृपा सतत बरसती रहती है। भगवान कष्ट में पड़े भक्त की रक्षा हेतु स्वयं आते व उनका त्राण करते हैं। यह भगवान किसी धर्मविशेष का नहीं है। उसे सत्प्रवृत्तियों का समुच्चय या नियामक तंत्र नाम दिया जा सकता है।
एक घटना सन् 1874 की है। इंग्लैंड का एक जहाज धर्मप्रचार के सिलसिले में 214 यात्रियों को लेकर रवाना हुआ। विस्के की खाड़ी में पहुँचकर जहाज के पेंदे में छेद हो गया। अब जहाज का डूबना निश्चित था। जहाज के कर्मचारियों ने यात्रियों को लाइफ बोट के सहारे बचाने का प्रयास करना प्रारंभ कर दिया। कुछ मल्लाह पंपों से जहाज का पानी निकालने लगे। अचानक पम्पों पर काम करने वाले मल्लाहों में खुशी की लहर दौड़ गई, पानी आना बंद हो गया। जहाज तेजी से बंदरगाह की ओर दौड़ाया गया। जहाँ जांच पड़ताल की गई तो पाया कि एक मोटी मछली जहाज के पेंदे के छेद में फँस गई है और अब जहाज के डूबने की कोई संभावना नहीं है। न जाने कौन-सी शक्ति आई व विशाल मत्स्य का रूप धारणकर सभी को बचा ले गई।
दूसरी ओर उस व्यवस्था तंत्र में यह भी सही है कि दूसरों के विनाश का ताना-बाना बुनने वाले स्वयं उससे बच नहीं पाते प्रत्युत अधिक ही हानि हिस्से में आती है। इसका एक उदाहरण उस समय देखने को मिला जब एक वैज्ञानिक स्वयमेव तोप के गोले के साथ निकलकर अपनी पत्नी से टकराकर चकनाचूर हो गया।
वेनिस के फ्रांसिस्को डीले वार्च नामक वैज्ञानिक की उन दिनों बड़ी चर्चा थी, जब उसने एक ऐसे सशक्त राकेट का निर्माण किया था, जो 3000 पौंड के वजन का गोला लेकर उड़ लेता था। एक बार जब यूगोस्लाविया की घेराबंदी तोड़ने के लिए उसका उपयोग हो रहा था, तभी अचानक आविष्कारक भी गोले के साथ मशीन में फँस जाने से निकल पड़ा और किसी काम से आई हुई अपनी पत्नी के साथ टकराकर चकनाचूर हो गया। दोनों को एक साथ ही दफनाया गया।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जो घटना घटी, वह भी चौंका देने वाली थी। आर्कटिक क्षेत्र में घूमते हुए एक जर्मन विध्वंसक जहाज का लक्ष्य बनाकर जैसे ही ब्रिटेन के युद्धपोत ट्रिनीडाड ने टारपीडो छोड़ा वैसे ही कुछ क्षणों में लक्ष्य से भटककर वह ‘टारपीडो’ लौटा व अपने ही युद्धपोत से टकराकर उसने उसे नष्ट कर दिया।
पश्चिमी योरोप के केलगाल इलाके में 1257 ई. में एक बागी सेनापति पॉस्थुमस ने अपनी सैनिक टुकड़ी के माध्यम से भारी लूट-पाट मचाई। लुटेरे सैनिक स्वयं मालामाल हो गए और अपने सेनापति को रोम का राजा घोषित कर दिया, परंतु ‘पॉस्थुमस’ की दुर्गति होने में भी अधिक दिन नहीं लगे। सैनिकों की अपनी मनमानी चल ही रही थी। इसी बीच एक बार उनने जर्मनी का एक नगर ‘मेज’ को लूटने की अनुमति माँगी, अनुमति न मिलने पर ‘पॉस्थुमस’ को ही गोली से उड़ा दिया और स्वच्छंद होकर लूट-पाट करते रहे। अनीति का साम्राज्य अधिक दिन नहीं टिकता।
एक घटना 30 मई 1887 की है। इटली के टोरियो ठिकाने की राजकुमारी का विवाह इटली के राजकुमार ड्यूक डिआडस्टा के साथ हुआ; किंतु उस अभागे विवाह दिन की जितनी भर्त्सना की जाए कम है, जिसने वर-वधू के अनेकों संबद्ध व्यक्तियों को काल के गाल में झोंक दिया। राजकुमारी की निजी नौकरानी द्वारा फाँसी लगा लेना, द्वारपाल द्वारा अपना गला काट लेना, बारात का नेतृत्व करने वाले की लू लगने से मृत्यु, सुहागरात मनाने के लिए जाने वाली ट्रेन से स्टेशन मास्टर का कुचलकर मर जाना, राजा के व्यक्तिगत सहायक का घोड़े से शिर के बल गिरकर मर जाना, विवाह के विशिष्ट प्रबंधक वेस्टमैन का अर्धविक्षिप्त होकर प्राण गवाँ देना, आदि घटनाएँ उस दर्दनाक क्षणों की याद दिलाकर अभिशप्त विवाह दिन को विस्मृत नहीं होने देतीं।
कुछ व्यक्ति भी अभिशप्त स्थिति में होते हैं, जिनके संपर्क में आने वालों को दुर्गतिपूर्ण दिन देखने पड़ते हैं। रोम के राजा क्लाउडियस की अद्वितीय सुंदरी बेटी एन्टोनिया से शादी करने के अनेकों प्रस्ताव अनेकों लोगों के आते थे, परन्तु उसे सदैव असफल ही रहना पड़ा।
दो बार उसने विवाह किया, परंतु दोनों बार उसके पति किसी न किसी आरोप में फँसकर मृत्युदंड के शिकार बने। तीसरी बार सम्राट नीरो ने शादी का प्रस्ताव भेजा, परंतु प्रस्ताव अस्वीकृत हो जाने से वे इस अपमान को सहन न कर सके, और अपनी हत्या स्वयं ही कर ली।
अभिशप्त वस्तुओं का बुरा परिणाम किस प्रकार उसके स्वामी को भुगतना पड़ता है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत घटना में मिल जाता है। 5 मार्च 1784 को लेडन नगर के शस्त्रागार रक्षक ‘डेनियल’ को लुटेरों ने दो गोली दागकर मार डाला, जिसके कीमती कोट को उसके छोटे भाई ने पहनना शुरू कर दिया। वह भी उसी विभाग में नौकरी करता था। एक दिन लुटेरों ने उसकी भी दो गोली दागकर उसी प्रकार हत्या कर दी जैसे उसके बड़े भाई की हुई थी। आश्चर्य तो इसमें था कि बड़े भाई को जहाँ गोली लगी थी, कोट के उसी छेद से गोली जाकर छोटे भाई को लगी और वह भी मारा गया।
अनीति मार्ग से उपार्जित वस्तुएँ भी अभिशप्त बन जाती हैं। आॅस्ट्रेलिया के युवराज अंक ड्यूक फ्राज फर्निनेड की खरीदी हुई आलीशान कार एक ऐसे ही दुर्भाग्य की कहानी है, जिसमें अनेकों व्यक्तियों की जानें गईं। 28 जून 1914 में वह अपनी पत्नी को ‘बोस्तियाँ’ के गवर्नर के यहाँ निमंत्रण में ले जा रहा था कि बम का सनसनाता गोला आ फूटा, जिससे चार अंगरक्षक बुरी तरह घायल हो गए और थोड़ा आगे चलते ही पति-पत्नी दोनों को ही गोली का शिकार सेराजेलो नगर में बनना पड़ा। सेराजेलो के एक सेनापति जनरल पोत्येरेक ने इस कार पर अपना आधिपत्य जमाया। इसका दुष्परिणाम यह निकला कि 21 वें दिन युद्ध में उसकी पराजय हुई और देहावसान भी। पोत्येरेक की मृत्यु के बाद उसकी सेना के एक कप्तान ने इस कार का इस्तेमाल किया तो तीन व्यक्तियों की जान ले बैठी। आकर्षणयुक्त कार को गवर्नर के पास भेजा गया। मरम्मत कराने के दो माह बाद पाँच दुर्घटनाएँ हुई। गवर्नर को अपने दाहिने बाजू से हाथ धोना पड़ा।
स्विट्जरलैंड के एक रेस ड्राइवर ने प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कार को खरीदा तो उसकी भी जीवन लीला समाप्त हो गई। फिर से कार ‘सेराजेलो’ में ही एक किसान के यहाँ आ पहुँची। किसान कार को अपनी गाड़ी से बाँधकर चला तो अचानक ही दौड़ पड़ी और उसे तो मारा ही साथ ही साथ गाड़ी-बैलों का भी चकनाचूर कर दिया। कार हर्शफील्ड नामक व्यक्ति के पास आई तो उसके चार मित्रों की जानें चली गई। उपर्युक्त दुर्घटनाओं की जानकारी जब आस्ट्रेलिया सरकार को हुई तो उसे मुर्दाघर को सौंप दिया। द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ गया। मुर्दाघर में एक साथ कई गोले फट पड़े। कार तो ध्वस्त हुई, पर साथ ही अनेकों व्यक्तियों को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। अनीति उपार्जन जहाँ भी जाता है, सर्वनाश करता है। यही भगवान की न्याय-व्यवस्था है।