पांडुचेरी अरविंदाश्रम के प्रसिद्ध संगीतज्ञ श्री दलीपराय एक बार इंग्लैण्ड गए और वहाँ के प्रसिद्ध दार्शनिक वर्टण्ड रसेल से मिले। दलीपराय ने अपना परिचय देते हुए अपनी कई पीढ़ियों का बड़प्पन भरा इतिहास सुनाया। यह बात रसेल को अच्छी न लगी उनने कहा— “पूर्वजों की बड़ाई एक सीमा तक ही ठीक है। यदि इसी ओर आगे बढ़ता चला जाए तो अंत में वहाँ पहुंचेंगे, जहाँ हमारे पूर्वज बंदर थे।"