एक राजा ने अपने देश में लोहे का उद्योग बढ़ाने की ठानी। नई वस्तुएँ बनाने वालों को वचन दिया कि जो माल न बिकेगा, सरकार खरीद लेगी।
एक लुहार ने नवग्रहों की मूर्तियाँ ढालीं। आठ ग्रहों को तो लोग खरीद ले गए पर शनिदेव को किसी ने न लिया। ढेरों प्रतिमाएँ जमा हो गईं। लुहार उन्हें दरबार में ले पहुँचा। राजा ने वचन के अनुसार उन्हें खरीद लिया।
सपने में आठ देवताओं ने नाराजी प्रकट करते हुए कहा— शनि आपके यहाँ रहेंगे तो हम चले जाएँगे। आप घाटे में रहेंगे। या तो हमें रखिए या शनि को।
नींद खुली तो राजा ने अपने वचन का पालन करना उचित समझा। शनिदेव की सम्मानपूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा करके उन्हें देवालय में स्थापित कराया जा चुका था।
आठ ग्रह उस दिन तो रूठकर चले गए और राजा के वैभव में भी कमी पड़ी, पर कुछ ही दिन में देवताओं का मन बदल गया। उनने सोचा ऐसे व्रतशील व्यक्ति को छोड़ना उचित नहीं।
सपने में राजा ने फिर देखा कि वचनपालन की प्रशंसा करते हुए सभी देवताओं ने वापस लौटकर अपना-अपना स्थान ग्रहण कर लिया है।