लार्ड डफरिन का प्रेत से वास्ता पड़ा

July 1986

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बात सन् 1890 की है तब भारत में गवर्नर जनरल टलरिन थे। वे कुछ दिन के लिए इंग्लैण्ड छुट्टी पर गए। उनका घनिष्ठ मित्र आयरलैण्ड में रहता था। इसलिए उन्हीं दिनों उनने आयरलैण्ड जाने के लिए समय निकाल लिया।

समाचार मिलने पर मित्र को बड़ी प्रसन्नता हुई। उसका घर छोटा था। इस घिचपिच में उन्हें असुविधा न हो, इसलिए उन्हें पड़ोस के एक शानदार होटल में ठहराया गया।

डफरिन के सोने का प्रबंध बढ़िया था। जिस कमरे में उन्हें ठहराया गया उसकी खिड़की में से हरा-भरा पार्क दिखता था। मौसम भी अनुकूल था, पर उन्हें बहुत रात बीत जाने पर भी नींद नहीं आ रही थी। हैरान होकर उनने बिस्तर छोड़ दिया और कमरे में चहलकदमी करने लगे। इतने में अचानक हवा का एक तेज झोंका आया, जिसने उनकी मेज पर रखे हुए जरूरी कागज तितर-वितर कर दिये।

अंधड़ तो नहीं चल रहा है, यह देखने के लिए उनने खिड़की में से बाहर झाँका। आँधी तो नहीं थी, पर पार्क में खड़ा एक भयानक मनुष्य पीठ पर ताबूत लादे खड़ा था। वह बहुत डरावना लगता था। लगातार डफरिन की ओर ही आँखें फाड़-फाड़कर देख रहा था।

डफरिन हैरान थे। उनने पास के कमरे में सोए हुए नौकर को जगाया और टार्च लेकर उस स्थान पर पार्क में पहुँचे। रिवाल्वर साधा था। उस स्थान पर ताबूत तो पड़ा पाया पर उसे लादकर लाने वाला गायब था। डरे हुए होने पर भी वे किसी प्रकार सो गए।

दूसरे दिन मित्र के यहाँ गये और सारा विवरण सुनाया तो उन्होंने पास के कब्रिस्तान के प्रेतों द्वारा ऐसे उत्पात किए जाते रहने की बात स्वीकार की। दिन भर घूमने-फिरने के बाद रात को डफरिन फिर अपने होटल पहुँचे। संयोगवश लिफ्ट ऊपर ले जाने वाला कर्मचारी वह रात वाला भयानक आदमी ही था। वे सिहर उठे। उसके साथ जाने को वे तैयार न हुए; हालांकि लिफ्ट मैन उन्हें साथ चलने के लिए बहुत आग्रह करता रहा। आखिर उसने लिफ्ट चलाई और रास्ते में ही एक बड़ी दुर्घटना कर दी। जिसमें सभी 22 व्यक्ति मारे गए।

होटल मालिक से इस ड्राइवर के बारे में पूछा गया तो वे भी इतना ही बता सके कि उनका स्थाई लिफ्ट मैन एक दिन की छुट्टी पर गया था। उसके स्थान पर एक दिन के लिए इस नए आदमी को उसका नाम पता एवं लाइसेन्स आदि देखकर रख लिया था; पर दुर्घटना के बाद वह वहाँ से भी गायब हो गया, न उसका शव लिफ्ट में पाई लाशों में मिला।

विषय चर्चा का बन गया। पास-पड़ोस के लोगों ने सुना तो वे भी यह बताने आए कि पास के कब्रिस्तान में रहने वाले प्रेत अक्सर इस क्षेत्र के लोगों को इसी प्रकार डराते और हैरान करते रहते हैं।

डफरिन और उनके मित्र दोनों ही सुशिक्षित थे वे भूत प्रेतों की बात को केवल अंधविश्वास मानते थे; पर उस दिन जो घटना उनने देखी, इसके उपरांत वे मानने लगे कि प्रेत भी कोई होते हैं और उनमें से अधिकांश दूसरों को डराने या हैरान करने में रस लेते हैं।

भारत में भूतों के संबंध में अनेक दंत कथाएँ सुनी जाती हैं और घटनाओं के विवरण कान में आते रहते हैं। डफरिन जब लौटकर भारत आए तो उन्होंने प्रेत संबंधी गतिविधियों में दिलचस्पी लेने और यथार्थता को समझने का नए सिरे से प्रयत्न आरंभ किया।


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