एक व्यक्ति ने कितने ही योगाभ्यास करके कितनी ही सिद्धियाँ उपार्जित कीं। वह बत्तख की तरह पानी पर चल सकता था। चिड़ियों की तरह आसमान में उड़ सकता था।
प्रदर्शन हो चुका कि इस उपलब्धि से आपका और अन्य किसी का क्या लाभ हुआ। जो काम नाव और पतंग कर सकती है, उसके लिए इतना समय गँवाने और कष्ट सहने की क्या आवश्यकता थी।