वाचस्पति मिश्र भारतीय दर्शन के प्रसिद्ध भाष्यकार हुए हैं। उन्होंने पूर्व मीमाँसा को छोड़कर शेष सभी दर्शनों का भाष्य किया है। वे अपने इस पुण्य प्रयास में जुटे थे। इसी बीच उनकी पत्नी ने एक दिन सन्तान उत्पन्न करने की इच्छा प्रकट की।
वाचस्पति गृहस्थ तो थे पर दाम्पत्य जीवन उन्होंने वासना के लिये नहीं, दो सहयोगियों के सहारे चलने वाले प्रगतिशील जीवन क्रम के लिये अपनाया था। उन्होंने पत्नी से पूछा सन्तान उत्पन्न क्यों करना चाहती हो?
पत्नी ने संकोच पूर्वक कहा-इसलिए कि पीछे नाम रहे।
वाचस्पति मिश्र उन दिनों वेदान्त दर्शन का भाष्य कर रहे थे। उन्होंने तुरन्त उस भाष्य का नाम ‘मामती’ रख दिया, यही नाम उनकी पत्नी का था। उन्होंने पत्नी से कहा। लो तुम्हारा नाम तो अमर हो गया अब व्यर्थ प्रसव वेदना और सन्तान पालन का झंझट सिर पर लेकर क्या करोगी?