शिल्पकार की कारीगरी (Kahani)

October 1972

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  शिल्पकार ने बहुत सुन्दर मूर्ति बनाई। बहुत देर तक उलट पुलट कर उसने देखा, और फिर फूट-फूट कर रोने लगा।

लोगों ने रोने का कारण पूछा तो उसने कहा-कि बहुत खोजने पर भी मुझे इसमें कोई त्रुटि नजर नहीं आती। यदि मेरी सूक्ष्म दृष्टि इतनी ही कुँठित बनी रही तो भविष्य में इससे अच्छी मूर्तियाँ बनाने का द्वार बन्द हो जायेगा।


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