मनोबल ही सुख-सर्वस्व है, यही जीवन है; और यह अमरता है। मनोदौर्बल्य ही ही रोग है, दुःख है और मौत है।
साम्राज्ञी मेरी लुईस अपनी इच्छानुसार अपने कानों को बिना हाथ से छुये किसी भी दिशा में मोड़ सकती थी और आगे पीछे हिला सकती थी।
एक फ्राँसीसी अभिनेता अपनी इच्छानुसार अपने बालों को घुमा सकता था। बालों को गिराने उठाने और घुँघराले बनाने की क्रिया इच्छानुसार कर सकने की उस अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन करके वह धन भी कमाता था। एक बाल को घुँघराला और ठीक उसी की बगल में उगे हुए दूसरे बाल को चपटा कर देना इसका अति आश्चर्यजनक करतब था। डाक्टरों ने उसका परीक्षण किया और प्रो. आगस्ट कैवेनीज ने बताया कि उसने सिर त्वचा की माँस पेशियों तथा तन्तुओं को अपनी इच्छा शक्ति के आधार पर असाधारण रूप से विकसित और संवेदनशील कर लिया।
एक व्यक्ति ने अपने पेट को प्रशिक्षित किया और उसे असाधारण खुराक खाने में ही नहीं उसे पचाने में भी सफलता पाई।
ग्रीस का क्रोटोना कामिलो नामक पेटू अधिक खा जाने और पचा जाने के लिए प्रसिद्ध था। वह 150 पौण्ड माँस एक दिन में खा जाता था। डेट्रायठ (मिचीगन) निवासी एडिको नामक एक रेलवे मजदूर उसका भी ताऊ निकाला, उसने 60 सुअरों के माँस से बनी हुई टिकिया एक दिन में खाकर पचाई। इसके बाद भी उसने कुछ जामुन की कचौड़ियाँ खाकर और दिखाई। उसकी सामान्य खुराक इतनी थी जितनी पाँच व्यक्तियों के सामान्य परिवार के लिये एक हफ्ते के लिये पर्याप्त होती। उसने शादी इसलिए नहीं कि कि जो कमाता था वह अपने पेट के लिए ही कम पड़ता था। बीबी को क्या खिलाता। वेतन से एडिको का काम न चलता तो उसके मित्र सहायता करते थे ताकि वह भूखा न मरे।
खुराक के बारे में कहा जाता है कि सन्तुलित भोजन होना चाहिए और जो पदार्थ शरीर में हैं वह खुराक के द्वारा पेट में पहुँचाये जाने चाहिये पर ऐसे भी उदाहरण हैं जिनमें अपूर्ण कहे जाने वाले भोजन के सहारे भी न केवल स्वास्थ्य स्थिर रखा गया वरन् दीर्घजीवन भी प्राप्त किया गया।
बाल काफे (आयरलैंड) निवासी वायल नील नामक व्यक्ति केवल जौ की रोटी, आलू और दूध पर 115 वर्षों तक जीवित रहा।
कहा जाता है कि नींद न आने पर मनुष्य पागल हो जाता है और जल्दी ही मर जाता है पर ऐसे भी उदाहरण मौजूद हैं जिनमें बिल्कुल न सोने वाले भी सामान्य जीवन जीते रहे और अपना काम ठीक प्रकार चलाते रहे।
पैरिस (फ्राँस) का प्रख्यात वकील जैक्विस लहरवेट 72 वर्ष जीवित रहा। इस अवधि में वह 68 वर्ष तक एक क्षण के लिये भी नहीं सोया पर अपना काम यथावत करता रहा। बात यह हुई कि फ्राँस के सम्राट सोलहवें लुई को ता. 21 जनवरी 1793 को मृत्यु दण्ड दिया गया। शूली पर चढ़ाये जाने का दृश्य देखने के लिये भारी भीड़ एकत्रित थी। उसी भीड़ में जैक्विस की माता भी अपने इस तीन वर्ष के बच्चे को गोदी में लेकर देखने के लिये जा पहुँची। शूली पर चढ़ाये जाने का दृश्य ऐसा वीभत्स था कि बालक उससे बुरी तरह डर गया और वह मूर्छित स्थिति में अस्पताल पहुँचाया गया। वहाँ से छुट्टी पाने के बाद उसकी नींद बिल्कुल गायब हो गई। इसके बाद वह एक क्षण के लिये भी नहीं सोया पर इसका उसके स्वास्थ्य पर विशेष असर नहीं पड़ा। वह अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण होता रहा और सफल वकील की आजीविका उपार्जित करता रहा।
अच्छा हो, हम मनोबल का महत्व समझें और उसे सक्षम बनाकर बड़ी से बड़ी दुर्घटनाओं को पार कर लेने की सामर्थ्य संचय करें।