अन्धे शिक्षक गोपाल शर्मा ने अपने जीवन द्वारा यह सिद्ध कर दिखाया है कि नेत्रहीन व्यक्ति अन्य नागरिकों की तरह राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं। वह कुछ दिनों के लिये अमरीका की विश्वविख्यात अन्ध शिक्षण संस्था पारकीन में प्रशिक्षण प्राप्त करने गये थे। यह संस्था मेसाच्युसेट राज्य के एक नगर में स्थित है।
अमरीका में नेत्रहीन व्यक्ति ऐसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं कि हमें सोचकर आश्चर्य होता है कि कैसे करते होंगे। गोपा शर्मा ने उन्हें बड़ी चुस्ती के साथ प्रयोगशालाओं में कार्य करते हुये देखा। वहाँ का समाज नेत्रहीनों को समर्थ बनाने में पूरा पूरा प्रयत्न कर रहा है। वहाँ कोई व्यक्ति उन्हें हीन नहीं समझता। इसीलिये गोपाल शर्मा का यह कहना है कि हम लोगों के प्रति सामान्य नागरिकों को अपना रुख बदलना चाहिए। हम समाज पर भार बनकर नहीं रहना चाहते। यदि हम पर अधिक दया दिखाई जाती है तो उसका मतलब यह है कि लोगों को हमारी शक्ति पर विश्वास नहीं है।
उन्होंने तो भारत सरकार से बड़े आग्रह के साथ निवेदन किया है कि नेत्र हीन व्यक्तियों को स्वावलम्बी बनाने की दिशा में प्रयत्न किया जाना चाहिये।
गोपाल शर्मा का जन्म जोधपुर में हुआ था। जब वह कालेज के छात्र थे तब उनकी आँख चली गई। पर जीवन का रोना रोकर हाथ पर हाथ धर कर बैठ नहीं गये वरन् देहरादून के अन्ध प्रशिक्षण विद्यालय में अध्ययन हेतु चले गये। अब तक वह 3 ब्रेल पुस्तकों का अध्ययन कर चुके हैं। उन्होंने टाइपिंग में विशेष निपुणता प्राप्त कर ली है।
संगीत में गोपाल शर्मा की रुचि है। अमरीका से लौटने के बाद इंग्लैंड सरकार के विशेष निमंत्रण पर वह इंग्लैंड रुके और वहाँ की अंध शिक्षण संस्थाओं को भी देखा। सारी गतिविधियों से उनका परिचय कराया गया। इस समय वह पानीपत के अंध विद्यालय में वरिष्ठ अध्यापक हैं। इस विद्यालय में आठवीं कक्षा तक अध्ययन करने के बाद कोई भी विद्यार्थी दूसरे विद्यालयों में अध्ययन के लिये जा सकता है।
गोपाल शर्मा द्वारा नेत्रविहीन व्यक्तियों के लिये जो कार्य किया जा रहा है वह बड़ा सराहनीय है।