चन्द्रमा के संदेश संकेत जो हमारे लिये आते हैं।

November 1972

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यह क्या हैं ? कैसे बने ? और कुछ विशेष क्षेत्रों में ही बिखरे क्यों पाये जाते हैं ? पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाले इस स्तर के पदार्थों की अपेक्षा इनकी संरचना सर्वथा भिन्न क्यों है ? आदि प्रश्नों के उत्तर में की गई खोज इस निष्कर्ष पर पहुँचाती है कि यह किसी अन्य ग्रह का ही उपहार है जो पृथ्वी निवासियों के लिए इच्छा या अनिच्छा पूर्वक भेजा गया है।

विश्लेषण और शोध के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला गया है कि चूँकि इनकी संरचना चन्द्र धरातल के समतुल्य है। अन्तरिक्ष यात्रा से उत्पन्न होने वाले प्रभाव इनमें मौजूद हैं, उल्काओं में रहने वाले तत्वों का इनमें समावेश है, पृथ्वी पर इस प्रकार की संरचना संभव नहीं इसलिए यह अन्तर्ग्रही ही हैं और संभवतः यह चन्द्रमा से ही आते हैं।

पृथ्वी पर जहाँ-तहाँ विचित्र रचना प्रणाली के कुछ ऐसे विचित्र पिण्ड पाये जाते हैं जिनके अस्तित्व का सही विश्लेषण करने में विज्ञानवेत्ता अभी पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे हैं।

सामान्यतः वे हरे रंग के चपटे, गोल, दीर्घ, वृत्ताकार नाशपाती जैसे, बटन सदृश, तश्तरीनुमा तथा कई अन्य रंग के पाये पाये जाते हैं। इनका व्यास 3 इंच और वजन 16 ओंस तक होता है। देखने में वे पत्थर जैसे कठोर और छूने में काँच जैसे चिकने होते हैं। रासायनिक विश्लेषण से इनमें सिलीकॉन ऑक्साइड, एल्युमीनियम, लोहा, मैग्नीशियम, कैल्शियम, बंशश्रधे, सोडियम, पोटेशियम, ट्रायोलाइट, स्रेवर साइट, काया साइट, निकिल जैसे पदार्थ पाये जाते हैं।

लगता है चन्द्रमा पर गिरने वाली उल्काएं अपनी विशेषताओं को चन्द्रतल के पदार्थों से मिला जुला यह पदार्थ बनाती है। चन्द्र तल पर टकराने के बाद यह मलबा अन्तरिक्ष में बिखर जाता है और उसका बहुत सा भाग पृथ्वी की ओर चला आता है और उसकी संरचना में थोड़ा हेर फेर यह लम्बी यात्रा भी कर देती है।

यह चन्द्र उपहार धरती पर बार-बार क्यों आते हैं? इनका उत्तर वैज्ञानिक अपने ढंग से देंगे। उसके लिए शोधें चल रही हैं और निष्कर्ष निकलने तक तथ्यों की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। पर दार्शनिक समाधान स्पष्ट है। सौंदर्य और शोभा का देवता चन्द्रमा इन उपहारों के माध्यम से यह बताता है कि मिलन की घनिष्ठता ही चमक, चिकनाहट, शोभा, सौंदर्य और दृढ़ता का निर्माण करती है। इन उपहारों में लगभग धरती पर पाये जाने वाले जैसे ही धातु कण तथा रासायनिक पदार्थ मिले हुए हैं। पर वह मिलन अति घनिष्ठता पूर्वक हुआ है। पृथक अस्तित्व को मिटाकर वे सब एक इकाई के रूप में सघन हो गये हैं। इतनी भर प्रक्रिया अपनाने से उनमें वह चमक और कड़क आ गई है जिसे अद्भुत और आश्चर्य जनक समझा जा रहा है। हवा के साथ जूझते हुए वे दूर गामी यात्रा करके पृथ्वी पर आये हैं उस पुरुषार्थ और कष्ट सहन ने उन्हें गोल और चिकना बना दिया है। मनुष्य यदि अपने जीवन में दृढ़ता, चमक, शोभा, और सम्मान प्राप्त करने का इच्छुक हो तो उसे भी दूसरों के साथ घनिष्ठता और एकता की नीति बरतनी चाहिए और प्रगति के लम्बे पथ पर चलने तथा अवरोधों से जूझने की हिम्मत करनी चाहिए। संभवतः यही संदेश चन्द्रमा की मूक भाषा से लेकर यह उपहार धरती पर आते हैं।

धरती पर उपलब्ध काँच पारदर्शी होता है, दर्पण बनकर अपनी और दूसरों की शोभा बढ़ता है। उससे बने हुए बर्तन और उपकरण कैसे साफ सुथरे लगते हैं। पर यह काँच है कि भोंड़े और धुँधले से रासायनिक पदार्थों का सघन सम्मिश्रण विलगाव को एकता के रूप में परिणत करने की प्रक्रिया को अपनाकर ही वे पदार्थ काँच बनकर शोभायमान हुए हैं। मनुष्य जीवन में भी शोभा और सम्मान का एकमात्र मार्ग आत्मीयता और एकता का ही है।


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