स्वप्नों में सन्निहित महत्वपूर्ण संकेत

November 1972

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स्वप्न अपने समय की एक वास्तविकता है। उस समय जब कि स्वप्न देखा जाता है मनुष्य वस्तुतः अपने को उसी स्थिति में अनुभव करता है जो घटना क्रम उस समय चल रहा होगा। उससे समुचित रूप से प्रभावित भी होता है। कई बार तो यहाँ तक होता है कि किसी अन्य जीवधारी के रूप में अपने आपको देखा जाये, और उसी जैसी मनःस्थिति में अपने को अनुभव किया जाय, पर ऐसा होता कभी-कभी ही है। साधारणतया कलेवर कुछ भी बदल जाय, चेतना मनुष्य जैसी ही रहती है। इससे भी अधिक मात्रा ऐसे स्वप्नों की रहती है जिसमें अपनी तो वर्तमान शारीरिक, मानसिक स्थिति ही बनी रहे, किन्तु दृश्य ऐसे उपस्थित हों जिनका तात्कालिक स्थिति के साथ सीधा ताल-मेल बैठता हो।

वेदान्त ने जीवन को ही स्वप्न कहा है। मरणोत्तर जीवन में पहुँचकर हम वर्तमान जन्म को एक स्वप्न ही अनुभव करेंगे। जब तक जीवित हैं तब तक पता नहीं चलता पर मृत्यु के उपरान्त जब दूरगामी दृष्टि खुलती है तब प्रतीत होता है कि वह एक ही जन्म नहीं लिया गया वरन् ऐसे-ऐसे असंख्य जन्म-असंख्य योनियों में लिये जा चुके हैं। अगणित स्वजन, सम्बन्धी मिले और बिछुड़ चुके हैं। अनेक बार कमाया, जमा किया और दूसरों के लिये छोड़ा है। उस स्तर का विचार अपने आज के जीवन को एक स्वप्न के अतिरिक्त और क्या समझेगा? आत्मज्ञान होने पर भी वही स्थिति हो जाती है। मृत्यु के उपरान्त बहुत आगे और बहुत पीछे की बात देख समझ सकने वाली जो दृष्टि खुलती है, वही चेतना आदि जीवन काल में विकसित हो जाये और जीवन को स्वप्न अथवा धरोहर माना जाने लगे तो समझना चाहिए महान जागरण उपलब्ध हुआ। इसी को अज्ञानान्धकार से छुटकारा पाना अथवा भव बन्धनों से मुक्ति कहते हैं। तत्व ज्ञान की दृष्टि से जीवन एक बड़ा स्वप्न भर है।

जिस तरह यह स्थूल जीवन अनेक ज्ञान-विज्ञान की जटिलताओं से भरा है उसी तरह हमारा सूक्ष्म जीवन-सूक्ष्म शरीर अनेकों रहस्यों से ओत-प्रोत है। स्वप्नों का संसार ऐसा ही जटिल और उलझा हुआ है जैसा कि स्थूल जीवन। हमें जिन्दगी की समस्याएं सुलझाने के लिये संसार क्षेत्र में विचरण करना पड़ता है। अंतर्जगत की गुत्थियों का हल हमें स्वप्नों की भूल-भुलैयों में प्रवेश करके जानना और समझना सम्भव हो सकता है। प्राचीन काल में इस विद्या का बहुत विकास हुआ था, ऐसे अनेक मनीषी मौजूद थे जो स्वप्नों को ध्यानपूर्वक सुनकर उनमें सन्निहित शारीरिक एवं मानसिक तथ्यों का निरूपण करते थे। उन स्वप्नों को त्रिकाल दर्शन की विद्या कह सकते हैं। भूतकाल की स्मृतियाँ- वर्तमान की परिस्थितियाँ और भावी सम्भावनायें, स्वप्नों का विश्लेषण करके जान सकना सम्भव है।

देखते समय सपना सच लगता हो ऐसी ही बात नहीं है। वह वस्तुतः होता भी सच है। अगर केवल इतना ही है कि वह अलंकारिक रूप धारण करके सामने आते हैं और अपने रहस्यों को पर्दे में छिपाये रहते हैं। भूमि और अन्तरिक्ष में छिपी पड़ी अनेक सम्पदाओं और शक्तियों की तरह स्वप्नों की रहस्यवादिता भी हमारे लिये एक चुनौती है, जो शोध और श्रम की अपेक्षा करती है। जो उन्हें समझ सके वह अपनी ही नहीं- संसार की वर्तमान एवं भावी स्थिति से बहुत कुछ परिचित हो सकता है।

बुखार जाने से पहले अंगड़ाई आने लगती है। कै होने से पहले जी मिचलाता है, फल आने से पहले फूल आता है। प्रसव होने से पहले पेट दर्द होता है यह पूर्वाभास है। कोई घटना अपने दृश्य में आने से पहले ही अन्तरिक्ष में विकसित होने लगती है। शरीर यकायक ही बीमार नहीं हो जाता रोग कीटाणु काफी समय पहले देह में प्रवेश कर चुके होते हैं। भले ही सामान्य व्यक्ति को ज्ञान न हो पर विशेषज्ञ रक्त आदि की परीक्षा कर उस सम्भावित रोग के कुछ ही समय में प्रकट होने की पूर्व घोषणा कर सकते हैं। अस्त-व्यस्त स्वभाव के व्यक्ति के सम्बन्ध में यह भविष्यवाणी सहज ही की जा सकती है कि वह असफल रहेगा। चोर और डाकुओं में से अधिकाँश को जेल भुगतनी पड़ती है। इन कार्यों में लगे हुए व्यक्तियों के अन्धकार भरे भविष्य की यदि कोई भविष्यवाणी करता है तो सम्भावना यही रही है कि यह पूर्व कथन प्रायः सही ही निकलेगा।

सटोरियों का व्यवसाय आर्थिक सम्भावनाओं के सही अन्दाज लगाने पर ही निर्भर रहता है। दूरदर्शी राजनीतिज्ञ भावी राजनैतिक हलचलों का बहुत कुछ अनुमान लगा लेते हैं। पैनी दृष्टि और तीखी सूझबूझ वर्तमान घटनाक्रम के आधार पर भावी निष्कर्ष निकालने में प्रायः खरी ही उतरती है। यह स्थूल जगत की बात हुई। ठीक इसी तरह सूक्ष्म जगत में जो होने जा रहा है उसका आधार पहले से ही बन चुका होता है। उसे जो व्यक्ति या मन समझ सके उसके लिए भविष्यवाणियाँ करना- भावी सम्भावनाओं का समझना कुछ कठिन नहीं होता। भविष्य में घटना क्रम की झाँकी करने वाले सपने प्रायः उसी आधार पर आते हैं। अनेक अलौकिकताओं से भरापूरा मानवी अचेतन यदि थोड़ा परिष्कृत हो तो सूक्ष्म जगत में हो रही हलचलों और उनके फलस्वरूप निकट भविष्य में घटित होने वाली बातों का पूर्वाभास प्राप्त कर सकता है, भविष्यवाणी कर सकता है।

कुछ दिव्य स्वप्न ऐसे भी होते हैं जो भावी घटना क्रम का स्पष्ट संकेत देते हैं। अभी जो सपना देखा गया- वह उस समय तो अटपटा और असम्भव लगता था पर कुछ ही समय में यह आश्चर्यपूर्वक देखा गया कि वह स्वप्न में देखा गया दृश्य आगे चलकर एक वास्तविकता बन गया। ऐसा वर्तमान स्थिति के बारे में भी होता है। दूरस्थ दो व्यक्ति यदि उनमें घनिष्ठता और आत्मीयता की समुचित मात्रा विद्यमान हो तो ऐसे आत्मीय बिना किसी पत्र, तार या सन्देश के अनायास ही पारस्परिक स्थिति जान लेते हैं। मृत्यु या आपत्ति जैसी अधिक महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में तो ऐसे आभास और भी अधिक सच निकलते हैं।

ऐसे पूर्वाभास वाले सपने प्रायः रात्रि के अन्तिम प्रहर में ही आते हैं। तब तक शारीरिक, मानसिक थकान दूर हो लेती है। ब्रह्ममुहूर्त की प्रभातकालीन ब्रह्मचेतना जीवन दायिनी वायु के साथ-साथ अदृश्य जगत की सूचनाओं का प्रवाह भी साथ ही लिये फिरती है। जिनका मन अपेक्षाकृत अधिक निर्मल है वे प्रायः ऐसे संकेतों को अनायास अनुभूतियों में अथवा स्वप्न संकेतों के रूप में समझ लेते हैं। जिन लोगों के बीच गहरी घनिष्ठता है उनकी तात्कालिक स्थिति का विवरण अपने मनोदर्पण में दूरदर्शी टेलीविजन की तरह देखा और दूरभाषी टेलीफोन की तरह सुना जा सकता है। उस प्रकार के यथार्थ परिचय संकेत देने वाले स्वप्नों को दिव्य कहा जा सकता है।

सच होने वाले सपनों की संख्या कम नहीं है। ऐसी घटनाएं समस्त विश्व में देखने, सुनने को मिल सकती हैं जिनसे सिद्ध होता है स्वप्न मन का विनोद ही नहीं वरन् उनमें भवितव्यताओं के संकेत भी रहते हैं।

स्वप्नों में मिले आभास की सत्यता सिद्ध करने वाले अनेक प्रमाण उपलब्ध हैं।


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