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April 1972

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शांतिकुंज पधारने पर पूज्य गुरुदेव से विभिन्न विषयों पर चर्चा भी होती रही। परिजनों की व्यक्तिगत, आत्मिक प्रगति, परिवार का शाखा संगठन, शान्तिकुँज की भावी रूपरेखा तथा युग परिवर्तन की विश्वव्यापी प्रक्रिया पर उनने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किये। वे सभी नोट कर लिये गये हैं; उन्हें अगले महीने की अखण्ड ज्योति में छाप दिया जायगा। अगला पूरा अंक इसी विवरण का होगा।

ऐसा क्रम कब चलेगा, कितने दिन चलेगा यह सर्वथा अनिश्चित है। इसकी कोई सार्वजनिक घोषणा भी नहीं होगी। केवल इच्छुक व्यक्तियों के नाम नोट रहेंगे और क्रमानुसार उन्हें बुलाया जाता रहेगा। एक बार में उतने ही साधकों को बुलाया जायगा जितनों को देने के लिए उपयुक्त क्षमता उपलब्ध होगी। साधारण तौर पर दस से लेकर बीस तक साधकों को बुलाया जा सकता है। कुण्डलिनी जागरण से लेकर शक्तिपात तक की समस्त क्रिया-प्रक्रिया को इस थोड़े ही समय में प्रशस्त करने का उपक्रम बन जायगा। इस भावी साधना प्रक्रिया का भावी स्वरूप और आधार अखण्ड-ज्योति के किसी अगले अंक में वर्तमान अस्वस्थता दूर होने पर ही प्रस्तुत करूंगी। इस समय तो उस प्रकरण पर थोड़ा प्रकाश डाला गया है जिसके अनुसार गुरुदेव कुछ समय के लिए यहाँ आये और चले गये।


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