त्यागी तपस्वी को राज दरबार से क्या मतलब

April 1972

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

एक दिन दो साधु एक महात्मा से मिलने गये। जिस समय वे उनकी कुटिया पर पहुँचे तो मालूम हुआ कि महात्मा जी दरबार में गये हुए हैं। महात्मा के राज दरबार में जाने की बात सुनकर वे दोनों साधु सोचने लगे कि ‘निःस्वार्थी’ महात्मा को राजा के दरबार में जाने की क्या आवश्यकता? मालूम होता है कि महात्मा जी भी पूरे महात्मा ही हैं।

इस तरह विचार-विमर्श होने से महात्मा जी के प्रति उनके हृदय में कुछ अश्रद्धा-सी उत्पन्न हो गयी। थोड़ी देर ठहर कर इन्होंने पता लगाया कि वे कब तक वहाँ से लौटेंगे। मालूम हुआ कि अभी उनके आने में तीन घण्टे के लगभग लगेंगे।’ अब इन दोनों ने सोचा कि ‘लाओ तब तक कहीं घूम-फिर आवें। बेकार बैठे-बैठे यहाँ क्या करेंगे।’ इन दोनों में से एक साधु की कफनी फटी हुई थी। इसलिए ये दोनों एक दरजी की दुकान पर उसे सिलाने के लिये जा पहुँचे थोड़ी देर बैठे थे कि इतने में दरजी की एक अँगूठी खो गयी। उसने इन्हीं दोनों को अँगूठी का चोर ठहराया। तुरन्त पुलिस आ पहुँची और इन दोनों साधुओं को बाँधकर राजा के पास ले गये। राजा ने मामले की जाँच-पड़ताल की तो वे ही चोर साबित हुए। बस, उन्होंने तुरन्त इन दोनों को हाथ काट लेने की आज्ञा दी। इसी बीच महात्मा जी आ पहुँचे। उन्होंने राजा साहब को समझाया कि आप और वह दरजी दोनों ही भ्रम में हैं। ये साधु निर्दोष हैं। महात्मा के कहने पर राजा ने इनको छोड़ दिया। इसके बाद वे महात्मा इन दोनों को बड़े सम्मान के साथ अपने आश्रम पर ले आये और उनका सत्कार किया। थोड़ी देर बाद मौका पाकर महात्मा जी ने कहा-’मुझे मालूम है कि आप लोगों के हृदय में यह सन्देह उत्पन्न हो गया है कि मैं राज दरबार में क्यों जाता हूँ। आपका यह सोचना भी ठीक ही है कि एक त्यागी तपस्वी को राज दरबार से क्या मतलब! परन्तु आप जैसे लोगों पर कहीं अन्याय न हो जाय। इसीलिये मैं वहाँ जाया करता हूँ।’


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118