श्रेय के लिए, मनुष्य को सब त्याग करना चाहिए।
अच्छा हो समय रहते चेता जाय। धुँआ उड़ाने वाले यन्त्रों पर प्रतिबन्ध लगाया जाय। उन्हें घनी आबादी वाले नगरों की अपेक्षा कहीं विरल जंगलों में धकेल कर छितरा दिया जाय। ध्यान गृह उद्योगों पर दिया जाना चाहिए। ताकि बेकारी की समस्या हल हो, अधिक लोगों को काम मिले और वायु दूषण की विभीषिका से बचा जा सके, बड़े कारखाने उन्हीं वस्तुओं के लगें जो गृह उद्योगों से न बन सकती हों। मोटरें उन्हीं के पास रहें जिन्हें राष्ट्रीय हित के किन्हीं महत्वपूर्ण कार्यों के लिए अनिवार्य रूप से आवश्यक है। धनियों को अधिक सम्पत्तिशाली बनाने और बड़े लोगों की हविश और विलासिता के पोषण की बलिवेदी पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के विनाश का बीजारोपण करना न्याय और औचित्य की दृष्टि से अवाँछनीय ही ठहराया जायगा।