कः काल- कानि मित्राणि को देशः कौ व्ययागमौ।
कंश्चाह का च में शक्तिरात चिन्त्य मुहुर्महः॥
समय क्या है, कौन मित्र हैं, आमदनी और खर्चा क्या है, मैं स्वयं क्या हूँ और मुझमें कितनी शक्ति है- ये छः बातें मनुष्य को बार-बार बराबर सोचते रहना चाहिए।