मिट्टी का एक कण, पानी की एक बूँद हवा की एक लहर, अग्नि की एक चिंगारी और आकाश के एक स्फुल्लिंग-पाँचों पहाड़ों की चोटी पर खड़े होकर भगवान् सूर्य से प्रार्थना करने लगे-हे सविता देव्! हमें भी अपने समान प्रकाशमान् और ऐश्वर्यशाली बनाओ?
सूर्य से एक किरण चमकी और बोली-भाइयो! भास्कर के समान तेजस्वी बनना है तो उठो किसी से कुछ माँगो मत, अपना जो कुछ है वह प्राणी मात्र की सेवा में उत्सर्ग करना प्रारम्भ करना।