विद्या से मेरा अभिप्राय यह है कि मनुष्य के शरीर, बुद्धि और आत्मा के सभी गुणों को प्रगट किया जाय। पढ़ना-लिखना विद्या का अन्त तो है ही नहीं, वह आदि भी नहीं है।
-महात्मा गाँधी