जलान्तश्चन्द्रपलं जीवितं खलु देहिनाम्।
तथाविधिमिति ज्ञात्वा शाश्वात्कल्याण-माचरेत्॥
देहधारियों का जीवन निश्चय करके पानी के भीतर चन्द्रमा के बिंब के समान चंचल है, ऐसा इसे जानकर सर्वदा कल्याण करना चाहिये।