क्षुद्रतम में भी विराट् के सन्देश छुपे हैं। जो उन्हें उघाड़ना जानता है वह ज्ञान को उपलब्ध करता है। जीवन में सजग होकर चलने से प्रत्येक अनुभव प्रज्ञा बन जाता है और जो मूर्छित बने रहते हैं, वे द्वार आये आलोक को भी वापिस लौटा देते हैं।
-अज्ञात