VigyapanSuchana

May 1964

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“युग-निर्माण योजना” पाक्षिक

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“युग-निर्माण योजना” पाक्षिक पत्रिका की आवश्यकता अखण्ड-ज्योति के प्रत्येक पाठक ने अनुभव की है। स्वतंत्रता आन्दोलन के बाद युग-निर्माण आन्दोलन को जनता का दूसरा व्यापक अभियान कहा जा सकता है। सामाजिक क्रान्ति एवं विचार क्राँति की इतनी विशाल योजना को अग्रगामी बनाने के लिए कितने ही समाचार पत्रों को, कितने ही विचार पत्रों की आवश्यकता है। ‘भूदान’ आन्दोलन के 17 अखबार विभिन्न स्थानों से विभिन्न भाषाओं में निकलते हैं। युग-निर्माण की शत-सूत्री योजना का प्रचार-प्रसार एवं संचालन करने के लिए दैनिक नहीं, साप्ताहिक नहीं तो कम से कम एक-एक पाक्षिक पत्र तो होना ही चाहिए। यह न्यूनतम आवश्यकता है। यदि इतना भी न किया जाता तो प्रगति का गतिशील बनाया जा सकना कठिन ही था।

इस समाचार पत्र के निकलने की सूचना गत अंक में पढ़कर परिवार के सभी स्वजनों में उत्साह की लहर दौड़ गई है। सभी ने पाक्षिक की जगह साप्ताहिक का अनुरोध किया है। पर हमारी आज की परिस्थितियों में हमारे लिए यह संभव नहीं। उच्च स्तर का, बीस पृष्ठों का, सचित्र, सर्वांग सुन्दर पत्र निकालना कितना कष्टसाध्य है इसे भुक्तभोगी ही जानते हैं। पाक्षिक ही सही पर विश्वास यह किया जाना चाहिए वह स्तर की दृष्टि से भारतवर्ष के अग्रिणी समाचार पत्रों में से एक होगा और अपनी अनेक विशेषताओं के कारण युग-निर्माण आन्दोलन को बनाने में भारी योग देगा।

परिवार के प्रायः सभी सक्रिय कार्यकर्ताओं ने पाक्षिक पत्रिका मंगाने की उत्साहपूर्वक स्वीकृति भेजी है। यह इच्छा व्यक्त कि जा रही है कि एक अंक को दस व्यक्ति पढ़ा करें और एक-एक दिन हर सदस्य के घर यह पत्र पहुँचे। वह पढ़े और पढ़कर दूसरे दिन दूसरे को दे दें। नियत तारीख को नियत व्यक्ति पढ़कर दूसरे दिन दूसरे व्यक्ति के घर पहुँचा दे। इस प्रकार एक दूसरे के घर पहुँचाने का क्रम चलाते हुए परस्पर संगठन की इस विशेष कार्य पद्धति का आरंभ करेंगे। इस प्रकार दस अखण्ड-ज्योति ग्राहकों के पीछे एक पाक्षिक से काम चल जाया करेगा। ‘एक से दस’ की संगठन पद्धति इस प्रकार स्वयमेव चलने लगेगी।

जिन्हें युग-निर्माण योजना के प्रसार और सफलता में उत्साह है, जो इस आन्दोलन में सक्रिय भाग ले रहे हैं। उन सभी के लिए इसे मंगाना आवश्यक है। जिनने मंगाने की स्वीकृति नहीं भेजी है वे अब भेज दें। छः रुपया वार्षिक चंदा मिल-जुलकर इकट्ठा करें या एक ही व्यक्तित्व दे यह स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर है। आशा है अगले महीने तक सभी सक्रिय कार्यकर्ताओं व शाखा संचालकों की स्वीकृति पाक्षिक युग निर्माण पत्रिका चालू करने के लिए प्राप्त हो जायेगी।

यदि फार्म भरकर न भेजा हो तो

अप्रैल अंक के अंत में ‘कार्य विवरण और सूचना’ शीर्षक एक परिपत्र लगाया गया था और अखण्ड-ज्योति के पाठकों से प्रार्थना की गई थी कि उसे अप्रैल के अंत तक भरकर भेज दें। वह जानकारी प्राप्त करना हमारे लिए नितान्त आवश्यक था। इसलिए इस बात पर बहुत जोर दिया गया था कि उसे भरकर भेजने में उपेक्षा न की जाय। प्रसन्नता की बात है कि अधिकाँश सदस्यों ने युग-निर्माण योजना को गति देने वाली इस जानकारी का भेजा जाना आवश्यक समझा है और उनने शीघ्र ही उन्हें भरकर भेज दिया है। फिर भी अभी काफी सदस्य ऐसे शेष हैं जिनने अपने फार्म नहीं भेजे हैं। ऐसे स्वजनों से फिर अनुरोध है कि वे यह अंक पहुँचते ही अप्रैल अंक में संलग्न कार्य भरकर तुरन्त ही भेजने की कृपा करें। इस जानकारी के आधार पर युग निर्माण योजना की इस वर्ष की विधि व्यवस्था निर्धारित की जानी है। इसलिए उपेक्षा एवं आलस्य को छोड़कर वह फार्म अभिलम्य भरकर मथुरा भेज देना चाहिए।


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