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May 1964

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उपकारिषु यस्साधुः साधुत्वे तस्य कोगुणः।

अपकारिषु यस्साधुः स साधु सदिभरुच्यते॥

जो पुरुष उपकारी व्यक्ति के प्रति सज्जनता दिखलाता है, उसकी सज्जनता का कोई मूल्य नहीं। सज्जनता या साधुता तो वही है जो दुर्जन के प्रति सज्जनतापूर्ण व्यवहार दिखलाये और सच्चा साधु भी वही जो दुष्ट के प्रति भी साधु व्यवहार करे।


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