मनुष्य अपने दुर्गुणों से जर्जर होता है

May 1964

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रावण मरा हुआ युद्ध भूमि में पड़ा था। उसके मृत शरीर को देखने लक्ष्मण जी गये और लौटकर आने पर उनने बताया कि रावण के शरीर में असंख्यों छिद्र हो रहे थे। छलनी की तरह वह छिदा पड़ा था।

इतने छेद क्यों कर हुए? दल के वानरों ने पूछा तो लक्ष्मण इतना ही कह सके कि राम के तीरों की बाण वर्षा से ही ऐसा होना सम्भव हुआ होगा।

राम मुस्कराये। उनने कहा-तीरों ने नहीं दुर्गुणों ने उसके शरीर को छेदा, और यह महा बलशाली योद्धा अपने पापों के फलस्वरूप मर गया। हे लक्ष्मण! न शस्त्र किसी को मारते हैं और न शत्रु। मनुष्य अपने दुर्गुणों से जर्जर होता रहता है और पाप का घड़ा भर जाने पर स्वयं ही नष्ट-भ्रष्ट हो जाता है।


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