न विशेषोऽस्ति वर्णानाँ सर्व ब्राह्ममिद जगत।
ब्रह्मणा पूर्व सृष्टं हि कर्म भिर्वर्णताँ गतम्॥
मनुष्य और वर्णों में कोई अन्तर, विशेषता नहीं क्योंकि यह सब एक ही ब्रह्मा द्वारा रचे हैं विभिन्नता, पृथकता, वर्ण-भेद केवल धर्म के आधार पर दिखाई देते हैं।