कर्तव्यनिष्ठ, बनो, सौदेबाजी न करो। सौदा बोने से पहले ही उपज की गारंटी चाहता है, जबकि कर्तव्य संसार के क्रम को समझता है कि बोने और काटने के सिद्धान्त पर दुनिया टिकी हुई है।