संकल्प जो श्रद्धांजलि समारोह में विराट समुदाय द्वारा लिया गया

November 1990

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

1- अपने आराध्य गुरु पं. श्री राम शर्मा जी से अपने सघन आत्मीय सम्बन्धों की गरिमा बनाये रखने के लिए अपने चिन्तन, चरित्र एवं व्यवहार को परिष्कृत बनाये रखने के महान दायित्वों के निर्वाह के लिए हम वचन देते हैं।

2- हम यह मानते हैं कि महाकाल का चक्र युग परिवर्तन का सरंजाम जुटाने हेतु अब निरन्तर गतिशील हो रहा है। समय के विषम प्रवाह को सृजन की दिशा में मोड़ने के लिए चली यही प्रक्रिया अब उज्ज्वल भविष्य लाकर ही रहेगी। पूज्य गुरुदेव के तत्संबंधी निर्धारणों को हम निरन्तर आगे बढ़ाते रहेंगे।

जन-जन में नवयुग की पृष्ठभूमि बनाने हेतु अनिवार्य उच्चस्तरीय आस्थाओं का संचार करने के लिए यह विराट गायत्री परिवार निरन्तर संलग्न रह प्रज्ञा आलोक को विश्व के कोने-कोने तक पहुँचा कर ही रहेगा।

4- राष्ट्र की एकता व अखण्डता को बनाए रखने के लिए जाति, लिंग, पथ, धर्म व भाषा के मतभेदों से ऊँचा उठकर हम साँस्कृतिक पुनरुत्थान हेतु प्रज्वलित की गई संघ शक्ति की प्रतीक विचार क्रान्ति की लाल मशाल सदा प्रज्वलित बनाये रखेंगे।

5- सतयुग अर्थात्-ऋषि युग, ब्रह्मपरायण जीवन जीने वालों का युग। इस मान्यता को सुदृढ़ बनाये रखने के लिए अपनी आवश्यकताएँ न्यूनतम रखते हुए, अपनी महत्त्वाकाँक्षाओं को आध्यात्मिक मोड़ देते हुए हम अपनी समझ क्षमता को लोकहित के निमित्त लगाने का संकल्प लेते हैं। अपने श्रम, समय एवं उपार्जन का एक अंश समाज उत्थान के निमित्त सतत् लगाते रहेंगे।

6- अपने-अपने कार्य क्षेत्र को एक मण्डल के रूप में विकसित करते हुए केन्द्रीय तंत्र से मार्गदर्शन लेते हुए पूज्य गुरुदेव के निर्धारणों के अनुरूप क्षेत्रीय स्तर पर विद्या विस्तार की समस्त योजनाओं को क्रियान्वित करते रहेंगे। अज्ञान, अभाव, अनीति को मिटाने हेतु जो भी पुरुषार्थ हम संभव हो सका, करेंगे। अपने जैसे अगणित समाजनिष्ठ लोकसेवी विश्व मानवता को देने हेतु स्वयं को एक आदर्श साँचा बनायेंगे एवं देव संस्कृति के निर्धारणों को जन-जन तक पहुँचाएँगे।

7- जो जीवन हमारी गुरु सत्ता ने जिया, जिस आधार पर वे यह विशाल परिवार संगठित कर गये, उस आधार भूमि को सशक्त बनाये रखने के लिए औसत भारतीय का निर्वाह करते हुए समर्पण भाव का पोषण करते रहेंगे तथा ब्रह्मबीज से ब्रह्मकमल के विस्तार का गुरु सत्ता का लक्ष्य पूरा करके रहेंगे।

8- हमारी यह सुदृढ़ मान्यता है कि व्यक्ति बदलेगा तो समाज बदलेगा एवं इस प्रकार निश्चित ही युग परिवर्तन का आधार खड़ा होगा। इसका शुभारंभ हम अपने आप से करेंगे एवं दीप से दीप जलाने की इस प्रक्रिया को निरन्तर आगे बढ़ाते रहेंगे।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118